Saturday, June 2, 2012

होता स्वयं जगत परिणाम, मैं जग का करता क्या काम




इस संसार में प्रत्येक द्रव्य (living and non living beings) का परिणमन (transition) स्वतंत्र है | एक छोटी सी चींटी के लिए कण भर से लेकर हाथी के लिए मन भर तक की व्यवस्था कराने में यह प्रकृति अपने आप में सक्षम है, आत्मनिर्भर है | 

होता स्वयं जगत परिणाम, मैं जग का करता क्या काम ? 

ऐसी स्वचालित सांसारिक व्यवस्था में मनुष्य खुद को इन सभी शुभ - अशुभ कर्मों का कर्ता (doer) जानकर सुखी अथवा दुखी होता है | 

ज्ञानी जीव (enlightened soul) केवल इस परिणमन को होता जान, इन से स्वयं को भिन्न मानता है |

ज्ञान भाव ज्ञानी करे, अज्ञानी अज्ञान !! 

इन सभी कर्मो से हमारी कर्ता दृष्टि को हटाने मात्र से हमें हमारी आत्मा का दर्शन और उसका ज्ञान स्वभाव स्वरूप ही हो जायेगा |

ऐसा समयसार के कर्ता-कर्म अधिकार में आचार्य कुंद कुंद देव ने कहा है |

3 comments:

  1. Hota swayam Jagat Parinaaam, waaaah kya baat kahi hai Acharya Kund Kund Dev ne.

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    1. Chacha aapka comment to aisa hai .. jaise Kund Kund ne koi Umda Sher Pad Diya ho :)

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