बफे की दावत
आप माने या न माने,
पर हमारे लिए सबसे बड़ी आफत ..
ये बफे की दावत !
एक बार .. हमारा भी जाना हुआ बरात में ..
बीवी बच्चे थे साथ में ,
सभी के सभी बाहर से शो-पीस, अन्दर से रूखे थे ..
क्या करें भाई साहब, सुबह से भूखे थे ,
जैसे ही खाने का संदेसा आया हाल में ,
मानो भगदड़ सी मच गयी पांडाल में !
सब के सब, एक के ऊपर एक बरसने लगे ,
जिसने झपट लिया सो झपट लिया, बाकी खड़े-खड़े तरसने लगे !
एक आदमी हाथ में प्लेट लिए, इधर से उधर चक्कर लगा रहा था ,
खाना लेना तो दूर उसे देख भी नहीं पा रहा था
दूसरा अपनी प्लेट में चावल कि तस्तरी झाड लाया था ,
उस से कहीं ज्यादा तो अपना पजामा फाड़ लाया था
तीसरी एक महिला थी, जो ताड़ कि तरह तनी थी ,
उसकी आधी सादी तो पनीर कि सब्जी में सनी थी ...
उसे बार-बार धो रही थी ..
पड़ोसन कि थी .. इसलिए सर पीट-पीट कर रो रही थी
चौथा बेचारा, मजबूर था, लाचार था,
इसलिए कपडे उतार कर पहले से ही तैयार था !!
पांचवा अकेले ही सारे झटके झेल रहा था ..
भीड़ में घुसने से पहले, दण्ड पेल रहा था !!
छटा इन हरकतों से बेहद परेशान था ..
इसलिए उसका बीवी बच्चों से ज्यादा, प्लेट पे ध्यान था
सातवा तो कल्पना में ही खा रहा था .....
प्लेट दुसरे की देख रहा था .. मुंह अपना चला रहा था
आठवे का तो मालिक ही रब था ,
प्लेट तो उसके हाथ में थी .. मगर हलवा गायब था
नवा भी कुछ अजीब हरकतें कर रहा था ..
खाना खाने की बजाय जेबों में भर रहा था
और दसवे हम थे ..
जो देखते हुए यहाँ की हालत ,
अपनी पत्नी से बोले ..
डियर लौट चलें सही सलामत !!
बस फिर क्या था ..
इस बात पर पत्नी बिगड़ गयी .. बोली किस कमबख्त के पल्ले पड़ गयी ..
इस से अच्छा तो किसी पहलवान से शादी रचाती ..
तो कम से कम भूखी तो न मारी जाती,
पर इस से शादी रचा कर तो आज तक अपने मन को कचोट रही हूँ ..
ज़िन्दगी में पहली बार किसी दावत से बिना कुछ खाए लौट रही हूँ !!
Beautiful kavita by - Nilanjan Mukherji
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अरे भई .. भाईसाहब, काफी अच्छा लिखा है आपने, मान गए उस्ताद :)
ReplyDeleteExcellent piece of work sulabh. This poem makes me think that if we could address other major and more serious problems in such form of poems then everyone would become serious about it.
ReplyDelete@ Neel : It's all your blessings Chacha Ji !!
ReplyDelete@ Sam : I appreciate your concern, It is true that humorous comments on existing system lacunae serves like Honey dipped bitter pills.
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeletehttps://www.youtube.com/watch?v=gvOFZ55HUnc&t=27s
ReplyDeleteNilanjan Ji Ye Kavita Late Sh. Kaka Hathrasi Ji ki Hai......plz unka credit khud na le........
ReplyDeleteAapki ati kripa hogi...
Too nice....i m dying of laughing
ReplyDeleteMust kavita hai
ReplyDeleteoh god laughter mera pet bhar raha he....
ReplyDeleteVery funny
Nice poem
ReplyDeleteSir you are genius.
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